HDFC-एचडीएफसी बैंक के विलय प्रस्ताव को मिली मंजूरी, जानिए क्यों तेजी से बंद हो रहीं सरकारी बैंक शाखाएं
HDFC-एचडीएफसी बैंक के विलय प्रस्ताव को मिली मंजूरी, जानिए क्यों तेजी से बंद हो रहीं सरकारी बैंक शाखा
एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के मर्जर का रास्ता लगभग साफ हो गया है. दोनों कंपनियों को मर्ज करने करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया है. दोनों कंपनियों के मर्ज होने के बाद भारत के कॉरपोरेट इतिहास में यह सबसे बड़ा लेनदेन होगा. स्टॉक एक्सचेंज ने एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक को ‘नो-ऑब्जेक्शन’ सर्टिफिकेट जारी कर दिया है. इसी के साथ दोनों कंपनियों के मर्ज होने की प्रक्रिया शुरू हो गई. इस विलय का ऐलान बहुत पहले हो गया था, लेकिन अभी कई मंजूरियां बाकी हैं. अब स्टॉक एक्सचेंज ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है.
दरअसल, मर्ज या विलय से पहले कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज से ऑब्जरवेशन लेटर लेना होता है. इसमें लिखा होता है कि स्टॉक एक्सचेंज की नजर में उस कंपनी का क्या हाल है या उसकी क्या साख है. बीएसई लिमिटेड ने एचडीएफसी बैंक को ‘नो एडवर्स ऑब्जरवेशन’ का सर्टिफिकेट दिया है. यानी कि उसके खिलाफ कुछ भी गलत नहीं पाया गया है. इसी के साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एचडीएफसी बैंक को ‘नो ऑब्जेक्शन’ का ऑब्जरवेशन लेटर जारी किया है. ये दोनों सर्टिफिकेट 2 जुलाई को जारी किए गए जिसके बाद विलय का रास्ता साफ हो गया है.
यहां से भी लेनी होगी मंजूरी
हालांकि अब भी कई चरण बाकी हैं जिनसे होकर एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक को गुजरना होगा. अभी कई पड़ाव पर मंजूरी लेनी होगी, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज की हरी झंडी महत्वपूर्ण है. इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया, नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल और दोनों कंपनियों के शेयरहोल्डर की अनुमति ली जाएगी. ये सबकुछ होने के बाद दोनों कंपनियां एक दूसरे से मर्ज हो जाएंगी जो कि भारत का सबसे बड़ा ट्रांजैक्शन होगा.
इस साल 4 अप्रैल को एचडीएफसी बैंक ने देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के अधिग्रहण की घोषणा की थी. दोनों कंपनियों के बीच 40 अरब डॉलर की डील हुई है. मर्जर के बाद एचडीएफसी बैंक के पास 18 लाख करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी होगी. माना जा रहा है कि एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का मर्जर वित्त वर्ष 2024 की तीसरी या चौथी तिमाही में पूरी हो जाएगी. मर्जर की पूरी प्रक्रिया रेगुलेटरी अप्रूवल पर निर्भर है जो कि अभी जारी है. यह डील जैसे ही पूरी होगी, एचडीएफसी बैंक की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी शेयरहोल्डरों के पास चली जाएगी. एचडीएफसी को बैंक की 41 फीसदी हिस्सेदारी का मालिकाना हक मिलेगा.
शेयरहोल्डर को क्या होगा फायदा
डील के बाद एचडीएफसी के हर शेयरहोल्डर को एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर मिलेंगे. बीएसई के ऑब्जरवेशन लेटर में कहा गया है कि एचडीएफसी बैंक से सेबी के हर उस कार्रवाई की डिटेल मांगी गई है जो पहले उसकी किसी कंपनी के खिलाफ हुई हो. अगर डायरेक्टर, प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई हो तो उसकी भी जानकारी मांगी गई है. इस डिटेल को एनसीएलटी में जमा करना होगा. एचडीएफसी बैंक को कहा गया है कि मर्जर की ड्राफ्ट स्कीम में सेबी की अनुमति के बिना कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. अगर कुछ फेरबदल करना है तो सेबी से लिखित इजाजत लेनी होगी.
कितना बड़ा होगा कारोबार
विलय के बाद दिसंबर 2021 की बैलेंस शीट के अनुसार दोनों कंपनियों की संयुक्त बैलेंस शीट 17.87 लाख करोड़ रुपये और नेट वर्थ 3.3 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. 1 अप्रैल, 2022 तक एचडीएफसी बैंक का बाजार वैल्यू 8.36 लाख करोड़ रुपये (यूएसडी 110 अरब) और एचडीएफसी का 4.46 लाख करोड़ रुपये (59 अरब डॉलर) था. विलय के बाद एचडीएफसी बैंक आईसीआईसीआई बैंक से दोगुना हो जाएगा, जो अब तीसरा सबसे बड़ा बैंक है.